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कर्नल सोफ़िया कुरैशी एक प्रतिष्ठित भारतीय सेना महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने विशेष रूप से अपने समय में सुर्ख़ियों में छायीं जब उन्होंने एक पुरुषों की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनने का इतिहास बनाया, जिसे यूएन पीसकीपिंग मिशन के लिए विदेश भेजा गया था। उन्होंने 2016 में यह टुकड़ी का नेतृत्व किया, जिसे ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ा गया।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
"ऑपरेशन सिंदूर" कोई आधिकारिक सैन्य अभियान नहीं था, लेकिन यह एक प्रतीकात्मक नाम था जिसे मीडिया और समाज ने इस ऐतिहासिक मिशन को दिया था। इसका मकसद यह दिखाना था कि भारतीय महिलाओं की शक्ति और नेतृत्व क्षमता अब सेना जैसे क्षेत्रों में भी मान्यता प्राप्त कर रही है।
यह ऑपरेशन विशेष रूप से इस बात को उजागर करता है
कि यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग मिशन के पहली बार भारत ने महिला अधिकारी के नेतृत्व भेजा।
यह टीम कांगो (DRC) में तैनात की गई थी, जहाँ उनकी जिम्मेदारी संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करना और मानवीय सहायता पहुँचाना था।
कर्नल सोफ़िया कुरैशी की भूमिका:
उन्होंने INDBATT 2 नामक भारतीय बटालियन का नेतृत्व किया।
इस बटालियन में लगभग 500 जवान शामिल थे।
उनकी नेतृत्व टालेंट को संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने काफी प्रशंसा की।
बहुत अच्छा! आइए विस्तार से जानते हैं:
कर्नल सोफ़िया कुरैशी: ट्रेनिंग और बैकग्राउंड
कर्नल सोफ़िया कुरैशी ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई से ट्रेनिंग ली थी।
वे सिग्नल कोर की अधिकारी हैं – यह सेना की तकनीकी शाखा है जो संचार और नेटवर्किंग से संबंधित कार्यों को संभालती है।
2000 में वे सेना में शामिल हुई थीं।
उन्होंने कई उच्चस्तरीय सैन्य कोर्स और संयुक्त राष्ट्र के मिशन के लिए विशेष ट्रेनिंग ली।
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Role of UN peacekeeping mission
मिशन का नाम:
MONUSCO – United Nations Organization Stabilization Mission in the Democratic Republic of the Congo.
मुख्य कर्तव्य:
1. शांति पुनर्स्थापना:
उनकी इकाई और वे आत्मरक्षा के इच्छुक नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात की गई थे, खासकर वही क्षेत्र जहां युद्ध की देन थी और अस्थिर भी थे।
2. स्थानीय समुदायों से सहयोग:
Their mission was to balance with local leaders and civil society to reduce violence and promote dialogue.
3. महिला सशक्तिकरण:
एक महिला लीडर के रूप में उन्होंने अफ्रीकी महिलाओं और लड़कियों को यह संदेश दिया कि महिलाएं भी सेना जैसी भूमिकाओं में नेतृत्व कर सकती हैं।
4. संकट प्रबंधन और मानवीय सहायता:
उनके दल ने राहत सामग्री पहुँचाने, शरणार्थियों की सहायता करने, और मेडिकल कैम्प लगाने जैसे कार्य भी किए।
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महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
कर्नल कुरैशी का यह नेतृत्व सेना के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए भी महत्वपूर्ण था।
उनके नेतृत्व को "ऑपरेशन सिंदूर" इसलिए दिया गया क्योंकि यह भारतीय महिलाओं के गौरव, शक्ति और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक बन गया।
यह एक प्रेरणा है कि भारतीय महिलाएं अब घरेलू भूमिकाओं तक ही सीमित नहीं हैं – वे अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
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