भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली हर झड़प सीमित समय की लड़ाई नहीं होती—वे दो परमाणु शक्तियों के बीच सैन्य, आर्थिक और रणनीतिक ताकत का परीक्षण होते हैं। हाल ही की 87 घंटे की जंग ने न सिर्फ दोनों देशों की सीमाओं पर हलचल बढ़ाई, बल्कि अरबों रुपये का उधार भी छोड़ दिया।
87 घंटे की जंग: एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि
इस संघर्ष की शुरुआत सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी से हुई, जो महज कुछ घंटों में वायुसेना की भागीदारी और टैंक मूवमेंट तक पहुंच गई। युद्ध भले ही सिर्फ 87 घंटे चला, लेकिन इसका प्रभाव आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से दीर्घकालिक रहा।
युद्ध खर्च: कौन कितना पीछे गया?
भारत का कुल अनुमानित खर्च
वायुसेना अभियानों का खर्च: ₹3,500 करोड़
थलसेना की तैनाती: ₹1,200 करोड़
गोलाबारी व साजोसामान: ₹2,000 करोड़ों
कुल अनुमानित खर्च: ₹6,700 करोड़ (~$800 मिलियन)
पाकिस्तान का कुल अनुमानित खर्च
हवाई हमलों का संचालन: ₹2,700 करोड़
जमीन पर रक्षा बल: ₹1,000 करोड़
आंतरिक तबाही और संसाधनों की बर्बादी: ₹2,300 करोड़
कुल अनुमानित खर्च: ₹6,000 करोड़ (~$720 मिलियन)
युद्ध का आर्थिक प्रभाव
1. शेयर बाजारों पर प्रभाव
बीएसई सेंसेक्स में 3% की गिरावट
कराची स्टॉक एक्सचेंज में 4.5% की गिरावट
2. विदेशी निवेश पर असर
भारत में FDI की दर अस्थायी रूप से घटी,ानदानानदान
पाकिस्तान को IMF से ऋण समर्थन बढ़ाना पड़ा
3. नागरिक सुविधाओं पर असर
सीमावर्ती क्षेत्रों में 5,000+ परिवारों का विस्थापन
बुनियादी ढांचे की क्षति: ₹500 करोड़
घटनाक्रम कैसे शुरू हुआ?
यह टकराव सीमित था,लेकिन हाई-इंटेंसिटी एयर और ग्राउंड ऑपरेशन्स देखने को मिले।
पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर गतिविधि बढ़ाई, जिसका भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदमों से जवाब दिया।
मुख्य सैन्य गतिविधियां:
1. हवाई हमले और ड्रोन स्ट्राइक
2. सीमा पर तोपों और मिसाइलों का इस्तेमाल
3. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और साइबर अटैक
नुकसान की गणना: पैसा ही नहीं गया
भारत को हुए नुकसान:
इन्फ्रास्ट्रक्चर डैमेज: सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त।
मानव संसाधन: 12 जवान शहीद, 35 घायल।
आर्थिक प्रभाव: शेयर बाजार में अस्थिरता, रक्षा कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट।
पाकिस्तान को हुए नुकसान:
रणनीतिक घाटा: फॉरवर्ड बेस डैमेज हुए।
नैतिक झटका: इंटरनेशनल लेवल पर आलोचना झेलनी पड़ी।
आंतरिक प्रभाव: विदेशी निवेशकों की अनिश्चितता बढ़ी।
युद्ध का आर्थिक मूल्य: सिर्फ धन की बात नहीं
भारत की GDP पर असर:
87 घंटे की कार्रवाई से GDP का सीधा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन रक्षा बजट का दबाव और बढ़ गया।
भविष्य में अतिरिक्त रक्षा फंडिंग की आवश्यकता पड़ेगी।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
विदेशी कर्ज पहले से ही अधिक था, युद्ध खर्च ने मुद्रा भंडार पर और दबाव डाला।
IMF की चेतावनी भी सामने आई कि युद्ध जैसे हालात निवेशकों का भरोसा कम कर देते हैं।
पाकिस्तान का अनुमानित खर्च:
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पाकिस्तान का खर्च लगभग ₹4,300 करोड़ (~$520 मिलियन) आंका गया है।
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इनके मुख्य घटक थे:
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एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती – ₹1,500 करोड़
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सैनिकों की त्वरित तैनाती – ₹1,900 करोड़
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मेडिकल और इमरजेंसी बैकअप – ₹900 करोड़
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विशेषज्ञ राय: रक्षा विश्लेषक अजय शुक्ला के अनुसार, “ऐसी सीमित लड़ाइयों में खर्च भले ही कम लगता हो, लेकिन लॉन्ग टर्म में इसका असर बजट पर स्पष्ट दिखता है।”

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